Supreme Court Notice| सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस; मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में CJI को हटाया

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस; मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में CJI को हटाया, जवाब देना होगा

Supreme Court Notice To Central Government Over CEC-EC Appointments Petitions

Supreme Court Notice To Central Government Over CEC-EC Appointments Petitions

Supreme Court Notice: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। दरअसल, पिछले महीने शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को लेकर एक संसोधित विधेयक-2023 संसद में पास कराया था। इसके बाद राष्ट्रपति ने भी संसोधित विधेयक को मंजूरी दे दी और इस तरह से केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मामले में नया कानून बना दिया। इस कानून के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश यानि CJI को नियुक्ति पैनल से हटा दिया गया।

CJI को हटाने का विरोध, सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल

केंद्र सरकार के नए कानून और नियुक्ति पैनल से चीफ जस्टिस को हटाने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इन याचिकाओं में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर नए कानून की संवैधानिकता को चूनौती दी गई और मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी जाये। क्योंकि देश में चुनाव में निष्पक्षता और पारदर्शिता लाने के मद्देनजर ऐसा करना जरूरी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट आदेश दे कि नियुक्ति पैनल में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल किया जाए। क्योंकि भारत के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति पैनल से हटा दिया गया है। हालांकि, जब आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तो कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। मगर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बारे में जवाब तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर अप्रैल में जवाब दाखिल करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में ऐतिहासिक फैसला दिया था

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर इसी साल मार्च में ऐतिहासिक फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य दोनों निर्वाचन आयुक्ति की नियुक्ति के लिए एक पैनल होगा। जिसमें देश के प्रधानमंत्री, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ चीफ जस्टिस को शामिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस पैनल की सलाह पर ही राष्ट्रपति द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों नियुक्ति की जाएगी।

लेकिन पिछले साल 21 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने संसोधित विधेयक-2023 लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल डाला। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा था कि यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया है। इसके बाद 28 दिसंबर को राष्ट्रपति ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक, 2023 नया कानून बन गया था।

फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी क्या थी?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव में शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दूरगामी असर होगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि चुनावी प्रक्रिया का काफी समय से बेरहमी से दुरुपयोग निश्चित तौर पर लोकतंत्र के लिए गंभीर है। लोकतंत्र में चुनाव में शुद्धता व निष्पक्षता निश्चित तौर पर बकररार रहना होगा नहीं तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। बता दें कि, लॉ कमिशन ने 2015 में ही सिफारिश की थी कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कलीजियम जैसा कोई सिस्टम हो जिसमें पीएम, नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई सदस्य हों।

सबसे काबिल शख्स चुनाव आयुक्त बने

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता लोकतंत्र में लोगों की इच्छा है। इसलिए लोकतंत्र में निश्चित तौर पर फ्री और फेयर चुनाव और पवित्रता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग के लिए जरूरी है। इसलिए मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की कुर्सी पर सबसे साफ-सुथरा और काबिल शख्स को आसीन होना चाहिए। वहीं इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा था कि मौजूदा प्रक्रिया के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं और उसे गैर संवैधानिक नहीं कहा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट उसे निरस्त नहीं कर सकता है। कोर्ट यह भी नहीं कह सकता है कि इस मौजूदा मॉडल या प्रक्रिया पर विचार की जरूरत है। क्योंकि संविधान सभा ने इसी मॉडल को स्वीकार किया था। इस बारे में संविधान में कोई प्रावधान नहीं है जिसकी व्याख्या की जाए।

इस समय राजीव कुमार हैं मुख्य चुनाव आयुक्त

वर्तमान में राजीव कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। वह 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र तक होता है, जो पहले हो। मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह माना जाता है।